चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपने गांवों के अजीब नामों से परेशानी झेलनी वाले लोगों को बड़ी राहत प्रदान की है. बता दें कि प्रदेश के कई गांवों के ऐसे अजीबोगरीब नाम थे जिन्हें दूसरे के सामने बताने में लोग शर्म महसूस करते थे. नाम बताने पर लोग हंसकर उनका मजाक उड़ाते थे. इन गांवों के लोग लंबे समय से इन विचित्र नामों को बदलने की मांग उठा रहे थे
अब हरियाणा के उन 17 गांवों के नाम बदलने को गौरवपूर्ण स्थान मिला है, जिन्हें शर्मनाक, अजीब या अपमानजनक नामों से टैग किया गया था. इन गांवों के नए नामों को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जारी “उपलब्धि पुस्तिका” में जगह मिली है.
OLD | NEW | DISTRICT |
Chamgehra | Dev Nagar | Mahendergarh |
Garhi Sampla | Sir Chotu Ram Nagar | Rohtak |
Pindari | Pandu-Pindara | Jind |
Todi Kheri | Sarna Kheri | Jind |
Khijarabad | Pratap Nagar | Yamunanagar |
Lula Ahir | Krishan Nagar | Rewari |
Bal Rangdaan | Bal Rajputan | Karnal |
Kutia Kheri | Veerpur | Hisar |
Landaura | Jairampur | Karnal |
Ameen | Abhimanyupur | Kurukshetra |
Ganda Khera | Gurukul khera | Jin |
Mohammad Heri | Brahampuri | Gurgaon |
Sanghar Sarita | Baba Bhuman Shah | Sirsa |
Mustafabad | Saraswati Nagar | Yamunanagar |
Gurgaon | Gurugram | Gurgaon |
Ganda | Ajit Nagar | Fatehabad |
Kinnar | Gaibi Nagar | Hisar |
इन नए नामों से होगी पहचान
मुस्तफाबाद, खिजराबाद, बाल रंगदान, अमीन और मोहम्मद हेरी सहित कई मुस्लिम लगने वाले गांवों के नाम बदलकर सरस्वती नगर, प्रताप नगर, बाल राजपुतान कर दिए गए हैं. कहा जाता है कि महाभारत में पांडवों को तीरंदाजी सिखाने वाले गुरु द्रोणाचार्य के साथ अपने संबंध का जश्न मनाने के लिए गुड़गांव का नामकरण किया गया था. गंदा (बुरा), किन्नर (हिजड़ा), कुतिया खीरी (कुतियों का निवास) और गंदा खेड़ा (बुरे लोगों का स्थान) जैसे अवर्णनीय नामों वाले गांवों की भी अब नए नामों से पहचान होगी
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वहीं, एक मामले में गंदा गांव की 12 साल की बेटी हरप्रीत कौर, जिन्होंने गांव का नाम बदलवाने के लिए उत्प्रेरक की भूमिका अदा की थी. उन्होंने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर उनका ध्यान अपने गांव के नाम के कारण निवासियों को होने वाली शर्मिंदगी, अपमान की ओर आकर्षित किया था क्योंकि गांव का नाम ही ऐसा था कि लोग बताते में शर्मिंदगी महसूस करते थे.